किसी भी देश में युवा की भूमिका क्या है? ये बात हर किसी को अच्छी तरह ज्ञात होगी। मुझे इस पर प्रकाश डालने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जब देश की लगभग 70% आबादी युवा हो तो इसकी महत्ता के क्या मायने है,ये भी लोगों को भली भाँति पता है।
अब जब सब कुछ पता ही है फिर बताना क्या ,बताना ये है कि देश की वो आबादी जिस पर देश का भविष्य निर्भर करता है ,कि देश किस दिशा में जायेगा ।वही युवा सड़को पर कई दिन ,रात अपने घर से दूर सड़कों पर सिर्फ अपने हक़ के लिए लड़ रहा हो और सरकारें कुछ सुनें न तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी।
बीते सप्ताह 27 फरवरी से कर्मचारी चयन आयोग के दफ्तर के बाहर उसके द्वारा आयोजित की जा रही भर्ती परीक्षाओं में हो रही धांधलियों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों से आये छात्र बड़ी शान्तिपूर्ण ढंग से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
ये धरना प्रदर्शन उस जगह हो रहा है जहाँ से देश के हुक्मरानों का स्थान चन्द मिनटों की दूरी पर है।
परन्तु किसी को भी देश के भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं है ।
इस सप्ताह के अंदर देश मे 2 बहुत बड़ी चीजें घटी ,इसमे देश के 3 राज्यों में चुनाव ,होली का त्योहार।
लेकिन यहाँ प्रदर्शन कर रहे छात्र त्योहार पर अपने घर नही गए बल्कि उन्होंने वहीं विरोध में काली होली मनाई।
जब पूरा देश होली मना रहा था तब कुछ छात्र अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे थे।
और देश का बुद्धि जीवी वर्ग सो रहा है, कुछ की नींद टूटी है कुछ अभी भी कुम्भकर्ण वाली निद्रा में पड़े हुए है।
देश का मीडिया भी देश में युवाओं के भविष्य को नजरअंदाज करता आया है ,वह भी युवाओं के हित में यदा कदा किसी कार्यक्रम का प्रसारण करता है।
क्योंकि इन कार्यक्रमों से उन्हें शायद TRP कम होने का डर रहता है ।
वही युवाओं के इस आंदोलन में भी मीडिया को खबर तीसरे दिन लगी जबकि वो भी सिर्फ कुछ ही मिनटों की दूरी पर थे।
आज तक 9 वें दिन तक भी छात्रों को सिर्फ आश्वासन ही दिया गया है,
देश के छात्रों की माँग है कि" कर्मचारी चयन आयोग की सभी परीक्षाओं की जांच माननीय उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई के द्वारा हो और तब तक कर्मचारी चयन आयोग की सभी परीक्षाओं को स्थगित किया जाए।"
छात्र सीबीआई जाँच के आदेश को लिखित में और समय सीमा के अंदर चाहते है ,ये माँग इसलिए भी जायज है क्योंकि सीबीआई के पास अभी तक लगभग 1400 केस लंबित है तो छात्र कैसे मान जाए कि उनकी जांच समय सीमा में होगी।
इसी बीच छात्रों के इस आंदोलन को बिगाड़ने और युवाओं की एकता तोड़ने की सरकार के द्वारा कुछ अराजक तत्वों की मदद से पूरी कोशिश की जा रही है।युवा संविंधान का पालन करते हुए इस आंदोलन को चला रहे हैं।
लेकिन वहां छात्रों पर सरकारी तंत्र का दबाब इस कदर पड़ रहा है,कि
वहां मेट्रो स्टेशन बंद , सफाई कर्मचारियों को रोक दिया गया यहां तक खाने पीने की व्यवस्था ,शौचालय की व्यवस्था को भी बंद कर दिया गया ।युवाओं को तोडने हर सम्भव कोशिश की जा रही है।
यहाँ तक कहा जा रहा है कि उन्हें कुछ राजनीतिक दल समर्थन दे रहें है जबकि वहां राजनीति का कोई स्थान नहीं है।
ये देखते हुए प्रश्न उठता है कि क्या ये लोकतंत्र की मर्यादा को तोड़ा नही जा रहा?
मैं तो इस बात से अचंभित हूँ कि संविधान की शपथ लेने वाले संविधान का उल्लंघन कैसे कर सकते है।
देश में सरकारों को युवाओं की याद आती है बस चुनावों में ,हद तो तब हो गयी जब देश के प्रधान सेवक देश के एक राज्य में एक कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित कर रहे थे " उन्होने कहा कि वे युवाओं से बातचीत करने को उत्सुक रहते हैं, लेकिन उन्हें 9 दिनों से धरना दे रहे युवाओं की याद अभी तक नहीं आयी।
देश मे बेरोजगारी की समस्या और फिर हर नौकरियां में हो रही बेइंतहा धांधली से देश को किस ओर ले जाना चाहते है।
किन्तु अब देश का युवा जाग गया है वह अपने हक़ के लिए तब तक लड़ेगा जब तक उसे उसका हक मिल न जाये।
और अंत मे आने साथियों के लिए श्री सोहनलाल द्विवेदी की कविता की पंक्तियाँ -
" लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।"
मैं भी इसी भ्रष्ट तंत्र से पीड़ित एक छात्र हूँ और अपने साथियों की ओर से सरकार से गुजारिश करता की हमारी माँग को जल्दी से माना जाए।
ये मेरे निजी विचार है ,आपके विचारों का स्वागत है।