Friday 14 September 2018

हिंदी - मेरी प्यारी भाषा


हिंदीदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

हिंदी भाषा है, बोली है, ज़बान है,
हिंदी से देश का मान-सम्मान है।
हिंदी का सांस्कृतिक और वैचारिक महत्व है,
इसमें संवेदनाएं और झलकता अपनत्व है।।

इसका प्रयोग पारंपरिक और आधुनिक है,
हिंदी सहज, सरल ,वैज्ञानिक है।
यह न किसी को अकेला छोड़ती है,
हिंदी सबको दिलों से जोड़ती है।।

हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, विरासत है,
हमें इसे सहेजना होगा।
विदेशी भाषाओं को मोह छोड़,
हिंदी को हिंदी से जोड़ना होगा।।
हिंदी सभ्यता और संस्कृति की परिभाषा है।
हिंदी कुछ खट्टी-सी, कुछ मीठी सी मेरी प्यारी भाषा है।।

- भानुप्रताप भदौरिया


Tuesday 1 May 2018

अंतराष्ट्रीय श्रमिक दिवस - श्रमिक: किसी भी देश का असली निर्माता

1 मई : अंतराष्ट्रीय श्रमिक दिवस

किसी भी देश की तरक्की उस देश के किसानों तथा कामगारों (मजदूर / कारीगर) पर निर्भर होती है। एक मकान को खड़ा करने और सहारा देने के लिये जिस तरह मजबूत “नीव” की जरूरत होती है,  वैसे ही किसी देश, समाज, संस्था, बिज़नेस को खड़ा करने के लिये कर्मचारियों की विशेष भूमिका होती है।

 दिवस उन श्रमिक वर्ग को समर्पित है जो अपना खून-पसीना बहा कर अथक परिश्रम कर के विश्व के विभिन्न हिस्सों में दिन रात काम करके उस देश की प्रगति में अपना अमूल्य योगदान देते हैं।

इस दिन विश्व भर की लगभग हर कंपनी, फैक्ट्री, संस्था का अवकाश घोषित है, ये कर्मचारियों को सम्मान देने के लिए किया जाता है 

मुझे मजदूर दिवस पर दिनकर जी की कविता याद आती है  :-

मैं मजदुर हूँ मुझे देवों की बस्ती से क्या!
अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाये,

 अम्बर पर जितने तारे उतने वर्षों से,
 मेरे पुरखों ने धरती का रूप सवारा;
धरती को सुन्दर करने की ममता में, 
बीत चुका है कई पीढियां वंश हमारा.
अपने नहीं अभाव मिटा पाए जीवन भर, 
पर औरों के सभी अभाव मिटा सकता हूँ;
युगों-युगों से इन झोपडियों में रहकर भी, 
औरों के हित लगा हुआ हूँ महल सजाने.
ऐसे ही मेरे कितने साथी भूखे रह, 
लगे हुए हैं औरों के हित अन्न उगाने;
इतना समय नहीं मुझको जीवन में मिलता, 
अपनी खातिर सुख के कुछ सामान जुटा लूँ.

पर मेरे हित उनका भी कर्तव्य नहीं क्या? 
मेरी बाहें जिनके भारती रहीं खजाने;
अपने घर के अन्धकार की मुझे न चिंता, 
मैंने तो औरों के बुझते दीप जलाये.

मैं मजदुर हूँ मुझे देवों की बस्ती से क्या?
अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाये। 

आप भी पढ़े ,और अपने घर, परिवार के ,पड़ोस के हर व्यक्ति का  सम्मान करें 
याद रखिये,
मेहनत करने वाला हर व्यक्ति मजदूर होता है ,
मेहनत करने का तरीका अलग हो सकता है बस ,पर अपना घर परिवार चलाने को मजदूरी तो सब करते है ।

शेयर करें आपके विचारों का स्वागत है।

Sunday 22 April 2018

EARTH DAY - END PLASTIC POLLUTION

Earth day is celebrated every year on 22 April to aware people about their duties towards their planet.
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ABOUT EARTH DAY --
Earth Day is an annual event celebrated on April 22. Worldwide ,
On this day various events are held to demonstrate support for environmental protection. First celebrated in 1970, Earth Day events in more than 193 countries  are now coordinated globally by the Earth Day Network.

Earth Day was founded by United States Senator Gaylord Nelson as an environmental teach-in first held on April 22.

The theme for 2017 is “Environmental & Climate Literacy”, and aims empower everyone with the knowledge about earth.
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This year 2018 theme is to END PLASTIC POLLUTION.
Theme of this year has so much to think and aware our duties towards earth .
Nowadays, Plastic became an integral part of human daily life.
We ,the people of India also used plastic product,use polybags for our convenience,but for our convenience ,we damage earth everyday.
India is the 12th country in the world that produce plastic pollution.
According to data, we produce approx 16 million ton plastic waste every year.
It is now become global problem so the theme of this year is based on plastic .
It is time to awake ,arise and stop the use of plastic.
It is our duty that we give the healthy earth to our offsprings.

Things that we can do on EARTH DAY , KEEP IN MIND
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# Use 3 R's for things that harm our EARTH

1-Reduce 2-Recycle 3-Reuse

# Join the campaign to know the value of earth and life on this planet.

# Earth is only planet for life and no other alternate.

# Save earth to save your future generations.

# Stop use of plastic ,awake & awake people in your neighborhood .Your little step can save our planet.

# Use paper bag or clothsbag in alternate of polybag.

# Plant trees on your balcony, rooftop, in your neighborhood.

We must celebrate EARTH DAY daily to conserve the earth as it is not a one day process.
Let's
Take a pledge on this earth day to protect the earth from every kind of pollution.
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Wednesday 7 March 2018

सड़क पर सोता देश का भविष्य और बेखबर हुक्मरान

किसी भी देश में युवा की भूमिका क्या है? ये बात हर किसी को अच्छी तरह ज्ञात होगी। मुझे इस पर प्रकाश डालने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जब देश की लगभग 70% आबादी युवा हो तो इसकी महत्ता के क्या मायने है,ये भी लोगों को भली भाँति पता है।
अब जब सब कुछ पता ही है फिर बताना क्या ,बताना ये है कि देश की वो आबादी जिस पर देश का भविष्य निर्भर करता है ,कि देश किस दिशा में जायेगा ।वही युवा सड़को पर कई दिन ,रात अपने घर से दूर सड़कों पर सिर्फ अपने हक़ के लिए लड़ रहा हो और सरकारें कुछ सुनें न तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी।


बीते सप्ताह 27 फरवरी से कर्मचारी चयन आयोग के दफ्तर के बाहर उसके द्वारा आयोजित की जा रही भर्ती परीक्षाओं  में हो रही धांधलियों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों से आये छात्र बड़ी शान्तिपूर्ण ढंग से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
ये धरना प्रदर्शन उस जगह हो रहा है जहाँ से देश के हुक्मरानों का स्थान चन्द मिनटों की दूरी पर है।
परन्तु किसी को भी देश के भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं है ।

इस सप्ताह के अंदर देश मे 2 बहुत बड़ी चीजें घटी ,इसमे देश के 3 राज्यों में चुनाव ,होली का त्योहार।
लेकिन यहाँ प्रदर्शन कर रहे छात्र त्योहार पर अपने घर नही गए बल्कि उन्होंने वहीं विरोध में काली होली मनाई।
जब पूरा देश होली मना रहा था तब कुछ छात्र अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे थे।
और देश का बुद्धि जीवी वर्ग सो रहा है, कुछ की नींद टूटी है कुछ अभी भी कुम्भकर्ण वाली निद्रा में पड़े हुए है।

देश का मीडिया भी देश में युवाओं के भविष्य को नजरअंदाज करता आया है ,वह भी युवाओं के हित में यदा कदा किसी कार्यक्रम का प्रसारण करता है।
क्योंकि इन कार्यक्रमों से उन्हें शायद TRP कम होने का डर रहता है ।
वही युवाओं के इस आंदोलन में भी मीडिया को खबर तीसरे दिन लगी जबकि वो भी सिर्फ कुछ ही मिनटों की दूरी पर थे।

आज तक 9 वें दिन तक भी  छात्रों को सिर्फ आश्वासन ही दिया गया है,
देश के छात्रों की माँग है कि" कर्मचारी चयन आयोग की सभी परीक्षाओं की जांच माननीय उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई के द्वारा हो और तब तक कर्मचारी चयन आयोग की सभी परीक्षाओं को स्थगित किया जाए।"
छात्र सीबीआई  जाँच के आदेश को लिखित में और समय सीमा के अंदर चाहते है ,ये माँग इसलिए भी जायज है क्योंकि सीबीआई के पास अभी तक लगभग 1400 केस लंबित है तो छात्र कैसे मान जाए कि उनकी जांच समय सीमा में होगी।

इसी बीच छात्रों के इस आंदोलन को बिगाड़ने और युवाओं की एकता तोड़ने की सरकार के द्वारा कुछ अराजक तत्वों की मदद से  पूरी कोशिश की जा रही है।युवा संविंधान का पालन करते हुए इस आंदोलन को चला रहे हैं।
लेकिन वहां छात्रों पर सरकारी तंत्र का दबाब इस कदर पड़ रहा है,कि
वहां मेट्रो स्टेशन बंद , सफाई कर्मचारियों  को रोक दिया गया यहां तक खाने पीने की व्यवस्था ,शौचालय की व्यवस्था को भी बंद कर दिया गया ।युवाओं को तोडने हर सम्भव कोशिश की जा रही है।
यहाँ तक कहा जा रहा है कि उन्हें कुछ राजनीतिक दल समर्थन दे रहें है जबकि वहां राजनीति का कोई स्थान नहीं है।

ये देखते हुए प्रश्न उठता है कि क्या ये लोकतंत्र की मर्यादा को तोड़ा नही जा रहा?
मैं तो इस बात से अचंभित हूँ कि संविधान की शपथ लेने वाले संविधान का उल्लंघन कैसे कर सकते है।
देश में सरकारों को युवाओं की याद आती है बस चुनावों में ,हद तो तब हो गयी जब देश के प्रधान सेवक देश के एक राज्य में एक कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित कर रहे थे " उन्होने कहा कि वे युवाओं से बातचीत करने को उत्सुक रहते हैं, लेकिन उन्हें 9 दिनों से धरना दे रहे युवाओं की याद अभी तक नहीं आयी।

देश मे बेरोजगारी की समस्या और फिर हर नौकरियां में हो रही बेइंतहा धांधली से देश को किस ओर ले जाना चाहते है।
किन्तु अब देश का युवा जाग गया है वह अपने हक़ के लिए तब तक लड़ेगा जब तक उसे उसका हक मिल न जाये।
और अंत मे आने साथियों के लिए श्री सोहनलाल द्विवेदी की कविता की पंक्तियाँ -

" लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।"

मैं भी इसी भ्रष्ट तंत्र से पीड़ित एक छात्र हूँ और अपने साथियों की ओर से सरकार से गुजारिश करता की हमारी माँग को जल्दी से माना जाए।

ये मेरे निजी विचार है ,आपके विचारों का स्वागत है।


Sunday 21 January 2018

बेरोजगारी : भूख और गरीबी की ओर बढ़ता डिजिटल भारत

पीएम मोदी के जवाब के संदर्भ में -

ये शीर्षक मैंने इसलिए दिया है ,देश डिजिटल तो हो रहा है परन्तु  ये Digitalization लोगों को खाना देने की बजाय उन्हें ही खा रहा है ।

आज भारत जो एक विशाल देश है जिसकी 60- 65% आबादी युवाओं की है उस देश में बेरोजगारी आम समस्या नहीं हो सकती ।

आज देश में ग्रेजुएट लोग सफाई कर्मचारी जिसके लिए कोई योग्यता जरूरी नहीं वो काम करने के लिए मजबूर है जो जिस काम में परफेक्ट उसे वो काम नहीं मिल पा रहा है ।

अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब डिजिटल इंडिया की बात कर रहे इस देश में भूखों मरने की नौबत आ जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये ।

देश में बढ़ती बेरोजगारी न सिर्फ देश की प्रगति में बाधक है बल्कि उसके कारण कई लोग देश में हिंसा ,लूटपाट जैसे जघन्य अपराधों को भी अंजाम दे रहे है ।
इन अपराधों का बेरोजगारी से एक बहुत गहरा नाता है अगर सोचा जाए तो
डिजिटल इंडिया की बात कर रहे इस देश में बेरोजगारी इतना बड़ा अभिशाप है जिसका निवारण अभी नही किया गया तो ये डिजिटल इंडिया सिर्फ एक ख्वाब बन कर रह जायेगा ।

एक टी.  वी . चैंनल पर दिए गए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा वो निंदनीय है ,
जब देश के पीएम पकोड़े बेचने वाले, रेहड़ी लगाने वाले को देश का रोजगार वाला समझते  है तो ये बहुत ही निराश करता है कि क्या जनता ने इस सरकार को पकोड़े बेचने वाले बनाने वाले के लिए चुना , पीएम को उस रेहड़ी लगाने के कारण का पता नहीं लगाया की क्या कारण है कि एक ग्रेजुएट ,पढ़ा लिखा व्यक्ति ये काम करने के लिए मजबूर है ।

आज हर एक सरकारी ऑफिस में लाखों पद खाली पड़े हुए हैं उन्हें भरने की बजाय सरकारी की ये मंशा वाकई निराश करने वाली है ।

देश में सरकारी कार्यालयों में स्टाफ की कमी के कारण ही सरकारी योजनाओं का लाभ जनता के पास नहीं पहुंच पाता क्योंकि उन्हें उन लोगों तक पहुंचाने के लिए लोग ही नहीं है तो कौन पहुंचाए।
ये बेरोजगारी एक दिन में खड़ी हुई समस्या नहीं है

सरकार चाहे देश पर 6 दशक से राज करने वाली कांग्रेस हो या BJP की हो जो इसी मुद्दे को लेकर सत्ता में आई थी आज 4 साल बाद भी  असफल रही है ।
1947 में लोग अपने जीवन यापन के लिए चाय पकोड़े बेचा करते थे और आजादी के 70 साल बाद भी चाय पकोड़े ही बेचे तो देश में कितना विकास हुआ है सबको पता चलता है ।

सरकारी तन्त्र का निजीकरण करने की सरकार की नीयत पर मैं कहना चाहूंगा है कि सरकार क्या इस देश को बेचना चाहती है ?
देश को अच्छा बनाने के लिए  लोगों को रोजगार दीजिये ,विभागों को बेचिए मत । सरकारी विभागों के खाली पड़े पदों को भरिये फिर देखिए कि कैसे देश बदलता है ।
सरकार के लिए कहता हूँ कि लोगों को पकोड़े बेचने के लिए मजबूर करने बन्द करिये और नहीं तो याद रखिये कि जो जनता आपको अर्श पर पंहुचा सकती है वो 2019 में फिर से फर्श पर पंहुचाने का माद्दा भी रखती है।

इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि पीएम तक बात पंहुचे ।
आपके विचारों का स्वागत है ।
ये मेरे निजी विचार है जो पीएम के जबाब में लिखे है किसी गलती के लिए क्षमा कीजिएगा ।

Monday 11 December 2017

Mountains : A precious gift of nature


11 दिसम्बर - अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस
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On International mountain day , let us give a small attention towards mountains of the world .
Mountains are a precious gift of nature which we get from it.
It is the home of many living being creatures. We see the ecological balance in mountain's valleys. Let think if mountains are not  present on earth , what kind of life on earth is.
Is the life possible without mountains on earth? In mostly cases the answer is No?
We can't imagine life on earth without mountains.
Mountains are the home of rivers. Rivers those are the lifeline of any country for human beings. Mountains are important not for the people who live in valleys but it plays an equal part or more than equal part in the life of human beings who live in plains.
We all are very blissful that we are the people of the great country INDIA ,that comprises whole world in it.
For us mountains are heritage that we got from nature in free .
INDIA is the country that has the oldest (Aravali) and youngest (Himalayas) mountain ranges in world.
Others mountain ranges Vindhyachal, Nilagiri , Satpuras etc.are also consist its own heritage. Mountains are providing shelter for  many endangered species.
Himalayas in North plays an important role in our country ,it is the great soldier of INDIA.
But what we do for Mountains , Are we returning something to nature ? Are we returning something to mountains ?
It's answer is - YES
Yes, we are returning to nature  Pollution, Deforestation.
It is matter of concern not only for human beings but for every species that exist on earth.
People who are in the valleys is affected badly by this work of ours. About 10 - 15 % of world population live in valleys .
Due to climate change , people who have shelter in moutains face different danger like landsliding, earthquake, cloud bursting etc every day. So valleys people also escape their home & turning to metropolitan cities. Metropolitan cities also face different danger due to immigration of people.
In last few years Weather clock is also changed due to climate change.

On this day , let us take a pledge  and work for nature. Afforestation is the perfect option through which we can survive nature.

JAPAN celebrates mountain day on 11 August.
I hope India also mark a day in year as Mountain day.

It's my own personal thought,  I welcome your opinion on article ,Excuse me for any mistake.

Friday 10 November 2017

खेलों के क्षेत्र में भारत का लहराता तिरंगा

हाल ही के कुछ वर्षों में हमारे देश ने खेल के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है । हमारा खेल का स्तर कुछ वर्षों में बहुत निखर कर आया है।जिसका कारण आईपीएल की तर्ज पर की जा रही अन्य खेलों की लीग भी है । क्रिकेट की स्थित देश में पहले भी ठीक थी । लेकिन हॉकी, टेनिस ,बैडमिंटन ,कबड्डी , एथलेटिक्स,फुटबॉल आदि जैसे खेलों में हाल के वर्षों में आश्चर्यजनक प्रगति देखने को मिली है । खेल में हुई प्रगति से दुनिया में हमारे  देश का सिर गर्व से उठ गया है, ये देश को विश्व गुरु बनने की दिशा में एक शुभ संकेत है ,लेकिन इतनी प्रगति होने के बावजूद भी हम खेल के मामलों में दुनिया के कई मुल्को से पीछे है , हमारे देश में ओलम्पिक से 2 से 3 पदकों तक ही आ रहे है,इसका कारण खेलों के प्रति  सरकारो का ढुलमुल रवैया ही रहा है।
पिछले कुछ दिनों में कई खेलों में कई सुखद परिणाम देखने को मिले हैं जैसे भारत का क्रिकेट में शीर्ष पर होना, बैडमिंटन में श्रीकांत का वर्ष में चार ओपन खिताब जीतना, भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम का जीतना , मैरीकॉम का एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करना ऐसे कई खेलों में भारत का प्रदर्शन
सराहनीय रहा है । 
इस प्रगति को देखते हुए सरकारों को चाहिये कि खेल को बढ़ावा दे । 
खेल में अपने देश को उच्चस्तर पर ले जाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को प्रदर्शन करने के लिए बेहतर मंच की प्राप्ति हो सके, जिससे हम आगे ओलंपिक में अधिक खिलाड़ियों को भेज सकें। 
इस काम में देश के मीडिया को भी सक्रिय भागीदारी दिखाने की जरूरत है ,वो अपने चैंनलों पर महान खिलाड़ियों का इंटरव्यू ले जिससे प्रेरित होकर और अधिक से अधिक नए खिलाड़ियों के अंदर खेल भावना का विकास हो सके । 
देश को विश्व गुरु बनाने में खेल के क्षेत्र में उच्च होना पड़ेगा ।

हिंदी - मेरी प्यारी भाषा

हिंदीदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं हिंदी भाषा है, बोली है, ज़बान है, हिंदी से देश का मान-सम्मान है। हिंदी का सांस्कृतिक और वैचारिक महत्व...